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रहस्यमाई चश्मा भाग - 67





मर्मत सिंद्धान्त से मिलने के बाद नत्थू के पास पहुंचा और उसने नत्थु को बताया कि मंगलम चौधरीं कलकत्ता जुट मिल पर मौजूद रहेंगे नत्थू ने अंगार ज्वाला सुलखान आदि को बुलाया और कहा कि जल्दी से सारे मजदूरों में यह सूचना फैला दी जाय कि अब चौधरीं के प्रत्येक मिलो पर सारे मजदूर चार दिसम्बर को पूरी ताकत से एक साथ हल्ला बोलेंगे और वह स्वंय कलकत्ता जाएगा और भागा वह सिंद्धान्त के पास आया और बोला कि बेटे तुम कलकत्ता मत जाना तुम यही रहकर स्थिति का जायजा लेते रहना सिंद्धान्त ने सवाल किया ऐसा क्यो तब नत्थू ने कई तर्क दिए लेकिन बात सिंद्धान्त के समझ मे नही आई बात बडलते हुये बोला ठीक है आप कह रहे है तो हम कलकत्ता नही जाएंगे।मंगलम चौधरीं नवम्बर के अंतिम सप्ताह में ही पहुच गए कलकत्ता और प्रशासन एव पुलिस प्रशासन से मजदूरों की नोटिस एव अनिश्चित कालीन हड़ताल की जानकारियां दी और उपलब्ध समाचार माध्यमो से मिल मजदूरों की हठधर्मिता के विषय मे प्रतिदिन एक बयान जारी करना शुरू किया,,,,,


मंगलम चौधरीं की योजना बहुत स्प्ष्ट थी वह चाहते थे कि कलकत्ता जुट मिल पर ही मजदूरों को चार दिसम्बर से पहले ही एकत्र कर निर्णायक स्थिति पैदा कर दी जाय इधर नत्थू भी कलकत्ता पहुंच चुका था चौधरीं कि प्रत्येक मिलो के शातिर मजदूरों को लेकर पूरी तैयारी से गुलेल जहर पिलाये छोटे छोटे तीर गोलियों के साथ मिल में हड़ताल चार दिसम्बर से प्रस्तवित थी मंगलम चौधरीं ने एक और व्यवसायिक दांव चल दिया काम नही तो वेतन नही तो हड़ताल पर लागू ही था उन्होंने नवम्बर माह के वेतन को रोकने का आदेश दे दिया यह बात मजदूरों में बिजली की तरह फैल गयी और मजदूरों में आक्रोश फैल गया जिसके परिणाम स्वरूप तीस नवम्बर को ही जुट मिल के सभी मजदूरों ने मिल के मुख्य द्वार पर धरना दे दिया जब यह बात मंगलम चौधरीं को पता चली तब वह स्वंय पहुंचे और उन तमाम लांगो को सुयश सिंद्धान्त के साथ लेकर पहुचे जिसमे भद्र तूफानी विक्रांत सिंह नकुल शाहू मंशा राम लेक राज तिवारी जग्गू कर्दब इमिरीतिया रघु महादेव चिंता आदि के साथ मजदूर मंगलम चौधरीं को देखते ही नारे लगाने लगे शोर शराबा मचाने लगे सिंद्धान्त सुयश सारे लोग साथ साथ भीड़ में छुपा नत्थू सुलखान ज्वाला अंगार आदि आपराधिक प्रवृत्ति के मजदूरों के साथ खड़ा था ज्यो ही उसने अपने सभी विरोधियों को सुयश मंगलम के साथ देखा वह अपना नियंत्रण खोने लगा पुलिस बल अपनी सभी कोशिशों के बाद भी उग्र मजदूरों को रोक सकने में सफल नही था मजदूरों का शोर गुल देवांश के अस्पताल तक सुनाई दे रहा था,,,,,,



जिसे सुनकर शुभा एका एक उठी और अस्पताल से बाहर निकली अस्पताल कर्मचारियों ने शुभा को रोकने की बहुत कोशिश किया लेकिन डॉ देवांश ने कहा कि हम सभी शुभा के साथ चलते है और देखते है कि यह कहा जाती है शुभा दौड़ते हुए उधर गयी जिधर मजदूरों का शोर शराबा चल रहा था मंगलम चौधरी सुयश सिंद्धान्त मिल के मुख्य प्रवेश द्वार पर खड़े मजदूरों को समझाने का प्रयास कर रहे थे शुभा भीड़ को चीरती हुई आधी भीड़ में पहुंच गई उसकी नजर ज्यो ही मंगलम चौधरीं पर पड़ी बोलने की कोशिश करने लगी एक मिनट के प्रयास के बाद वह बहुत जोरो से बोली विराज मंगलम चौधरीं एव सारे मजदूर शुभा की तरफ मुखातिब हुये शुभा मंगलम चौधरीं की तरफ भीड़ को चीरती रणचंडी की तरह बद्व रही थी,,,,,,



तभी उसकी नजर सुयश पर पड़ी उसने फिर बहुत तेज स्वर में बोला विराज सुयश तुम्हारा अपना बेटा है पुलिस इंस्पेक्टर भैरव सिंह मंगलम चौधरीं सुयश सिंद्धान्त के बगल में खड़े थे शुभा को देखते नत्थू ने सुलखान ज्वाला अंगार से कहा देर मत करो इस औरत को मंगलम चौधरीं तक पहुचने ही मत दो मंगलम को ही अपना निशाना बनाओ इतना सुनते ही सुलखान अंगार ज्वाला ने जहर से युक्त तीरों को मंगलम चौधरीं सुयश पर शुभा ने मंगलम एव सुयश के सामने खड़ी हो हुईं थी कि एक साथ कितने तीर जहर भरे उज़के शरीर मे आ धसे जो मंगलम चौधरी के लिए छोड़े गए थे शुभा जमीन पर गिर कर तड़फड़ा रही थी नत्थू मंगलम के सामने आता,,,,


बोला चौधरीं आज मेरे प्रतिशोध कि ज्वाला शांत होगी तुम्हारी बिन व्यहता तो गयी दुनिया से अब इसे मुखग्नि भी नही दे सकोगे और यह लूला तुम्हारी औलाद यह तो तुम दोनों के साथ ही जायेगा और उसने सिंद्धान्त को छोड़ सुयश और चौधरीं को अपने साथियों के साथ घेर लिया मजदूरों को नत्थू की मंगलम चौधरीं के व्यक्तिगत दुश्मनी का कोई भान नही था फिर उनको अब भी यही समझ मे आ रहा था कि नत्थू उनके लिए ही लड़ रहा है अतः सारे मजदूरों की भवनाये नत्थू के साथ ही थी सिंद्धान्त ने देखा कि उसका अपना खून ही देवता जैसे चौधरीं के जान का दुश्मन बन बैठा है तो उसने भैरव सिंह की रिवाल्वर को निकाल कर एक के बाद एक तीन गोलियों दाग दी फायर की आवाज सुनते ही मजदूरों में भगदड़ मच गई नत्थु मरणासन्न जमीन पर पड़ा था उज़के प्राणान्त होने ही वाले थे,,,,



उसने रिवाल्वर फेंकते हुये अपने खून बॉबू से लिपटे हुये कहा बॉबू तुमने जीवन भर गुनाह किये मुझे कोई शिकायत नही थी तुमने मेरी माँ को चील्ह गिद्धों के हवाले छोड़ दिया कोई शिकायत नही थी लेकिन जब तुमने देवता जैसे मेरे बाबूजी को मारने की कोशिश किया तो मैं कैसे चुप रह सकता था नत्थू बोला बेटे तुम मेरे कलेजे से लग जा और चौधरीं साहब को बुलाया और बोला चौधरीं साहब मेरा अंत तो ऐसे ही होना था अच्छा ही हुआ कि मेरा अंत किसी जंगल गली या लावारिस कि तरह नही हुआ मेरे अपने खून ने ही मुझे मेरे कुकर्मों से भरे तन से मुक्ति दे दी आपने मेरी औलाद को जो परिवरिश और सांस्कार अपने लालन पालन से दिया है उज़के लिये आपका आभार और दोनों हाथ जोड़ते हुए प्राश्चित बोध के साथ नत्थू ने प्राण त्याग दिए भीड़ में जाने कब डॉ देवांश शुभा को उठाकर अपने अस्पताल ले जा चुके थे और शुभा को बचाने का प्रयास कर रहे थे,,,,,


 अब वहां जितने भी मजदूर थे सबकी आंखों से भ्रम का पर्दा उठ चुका था और सच्चाई उनके सामने खड़ी थी देवता के रूप में मंगलम चौधरीं जो उनके हमदर्द थे सारे मजदूर एक किनारे हटने लगे सुयश सिंद्धान्त और मंगलम डॉ देवांश के अस्पताल पहुंचे और शुभा के विषय मे जानकारी प्राप्त की शिवनारायण और चैतन्या भी पहुच चुके थे डॉ देवांश ने बहुत मुश्किल से शुभा की जान बचाई दस पंद्रह दिनों बाद शुभा स्वस्थ हो गयी मंगलम चौधरीं ने शुभा से सिंद्धान्त को मिलवाया और कहा यह तुम्हारा दूसरा बेटा है शुभा ने सिंद्धान्त और सुयश को एक साथ गले लगाया,,,,




जारी है






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2 Comments

KALPANA SINHA

05-Sep-2023 12:16 PM

Amazing

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Varsha_Upadhyay

04-Sep-2023 09:31 PM

Nice 👌

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